उपनिषद् सनातन धर्म के महत्त्वपूर्ण श्रुति ग्रन्थ हैं l उपनिषदों की उत्पत्ति ऋषियों की मौखिक परम्पराओं के रूप में हुई और ये वैदिक साहित्य का निचोड़, भारतीय आध्यात्मिक चिंतन के मूलाधार और भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के स्रोत हैं । उपनिषद् शब्द का साधारण अर्थ है-‘समीप उपवेशन’ या समीप बैठना, अर्थात ब्रह्मविद्या की प्राप्ति के लिए शिष्य का गुरु के पास बैठना l इनमें वेदों का सार तत्त्व अर्थात ब्रह्मविद्या का निचोड़ समाहित है l नौ मुख्य उपनिषदों-यथा ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय और श्वेताश्वतर उपनिषद् का सार तत्त्व और छान्दोग्योपनिषद् के सारतत्त्व को इससे पूर्व प्रस्तुत किया जा चुका है l इस पुस्तक में बृहदारण्यकोपनिषद् के सारतत्त्व को सरल जन जन की भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है l